भूतहा हवेली का रहस्य Mystery of the Haunted Mansion


भूतहा हवेली का रहस्य Mystery of the Haunted Mansion

शुरुवात से अंत तक जरूर पढ़ें।


उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग “शमशान हवेली” के नाम से जानते थे। कहते हैं, कई साल पहले वहाँ एक बेहद अमीर ज़मींदार रहता था – ठाकुर रघुनाथ सिंह। ठाकुर बेहद क्रूर और लालची था। हवेली में उसका परिवार और नौकर-चाकर भी रहते थे, लेकिन अचानक एक रात पूरी हवेली खून से नहा गई। किसी को नहीं पता चला कि क्या हुआ, मगर सुबह जब लोग हवेली पहुँचे, तो वहाँ हर जगह लाशें पड़ी थीं – ठाकुर, उसका परिवार, यहाँ तक कि नौकर भी। तब से वह हवेली वीरान पड़ी थी और कोई भी उसके पास जाने की हिम्मत नहीं करता था।

गाँव वाले कहते थे कि आधी रात को हवेली से किसी औरत के चीखने की आवाज़ आती है। कई बार लोगों ने देखा कि हवेली की टूटी खिड़कियों से खून टपकता है। कुछ ने हवेली के आँगन में एक लंबी सफेद साड़ी वाली औरत को घूमते देखा है। लोग मानते हैं कि वह ठाकुर की पत्नी की आत्मा है, जो अपनी मौत का बदला लेने के लिए भटक रही है।


हिम्मतवाला युवक

एक दिन गाँव में एक युवक आया – नाम था आदित्य। वह इन भूत-प्रेत की कहानियों पर विश्वास नहीं करता था। उसने गाँव वालों से कहा,
“अगर हवेली में भूत है, तो मैं आज रात वहीं ठहरूँगा। देखता हूँ, ये सब झूठ है या सच।”

गाँव वालों ने उसे बहुत समझाया, मगर वह नहीं माना। वह रात को लालटेन, एक ताबीज और एक डंडा लेकर हवेली के अंदर चला गया। हवेली के अंदर अंधेरा और सड़ांध फैली हुई थी। दीवारों पर अजीब से खून के धब्बे थे। टूटी खिड़कियों से हवा ऐसी आवाज़ कर रही थी, मानो कोई रो रहा हो।


आधी रात का साया

घड़ी में बारह बजने ही वाले थे कि अचानक हवेली की बड़ी सी खिड़की खुद-ब-खुद बंद हो गई। आदित्य ने डंडा कसकर पकड़ लिया। तभी उसे लगा जैसे कोई पीछे खड़ा है। उसने पलटकर देखा – कोई नहीं था। वह आगे बढ़ा और हवेली के एक पुराने कमरे में पहुँचा। वहाँ दीवार पर खून से लिखा था – “यहाँ मत आना!”

अचानक उसके कानों में किसी औरत के रोने की आवाज़ आई। उसने लालटेन की रोशनी से इधर-उधर देखा। तभी सामने के आईने में एक लंबी सफेद साड़ी वाली औरत दिखाई दी – बाल बिखरे हुए, आँखों से खून बह रहा था। आदित्य का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने डंडा उठाया और पीछे मुड़ा – मगर वहाँ कुछ नहीं था।


सच्चाई का पता

वह डरते-डरते हवेली के तहखाने की ओर बढ़ा। तहखाने का दरवाज़ा जंग लगा था। उसने जोर लगाया और दरवाज़ा खुला। अंदर अंधेरा था, मगर एक कोने में लाल रोशनी सी चमक रही थी। वह पास गया, तो देखा – ज़मीन पर ठाकुर की पत्नी की लाश का कंकाल पड़ा था। उसी कंकाल के पास एक खून से भीगा खंजर रखा था। तभी अचानक तहखाने का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।

पीछे से वही औरत की भयानक हँसी गूँज उठी –
“तुम्हें किसने कहा था यहाँ आने को?”

आदित्य चिल्लाया और दरवाज़ा खोलने लगा। तभी अचानक किसी ने उसके कंधे पर ठंडा हाथ रखा। वह चीख पड़ा और भागने की कोशिश करने लगा। लेकिन दरवाज़ा बंद था।


अंत का रहस्य

अगली सुबह गाँव वाले हवेली पहुँचे तो उन्होंने दरवाज़ा तोड़कर देखा। अंदर आदित्य बेहोश पड़ा था – उसके बाल सफेद हो चुके थे और आँखें पत्थर जैसी हो गई थीं। वह किसी से बात नहीं कर रहा था।

गाँव वालों ने कहा,
“अब कोई इस हवेली में नहीं जाएगा… यह हवेली शापित है।”

तब से आज तक वह हवेली वीरान है। कहते हैं, अगर कोई रात में वहाँ जाता है, तो वही औरत की परछाई उसका पीछा करती है, और उसके कानों में फुसफुसाती है –
“तुम भी मेरे साथ यहीं रहो…”


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