मुलाकातों के बीच प्यार love between meetings
शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। love between meetings
इरा और रोहन की कहानी एक साधारण से दिन की शुरुआत से नहीं, बल्कि वक्त के कई सालों बाद एक गहरी मुलाकात से शुरू हुई।
इरा एक जानी-मानी लेखक थी, जिसे किताबों से जितना प्यार था, उतना ही उसे अकेलेपन से डर था। वह अपनी ज़िन्दगी के कुछ हिस्सों को हमेशा अपने पास रखना चाहती थी, लेकिन कभी खुद को पूरी तरह से किसी से जुड़ा हुआ महसूस नहीं कर पाई थी। अपनी जिंदगी में उसे सिर्फ एक शांति चाहिए थी, और वह शांति उसे अपनी किताबों में मिलती थी।
रोहन एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, जिसकी ज़िन्दगी में हमेशा काम की भागदौड़ थी। हालांकि, उसने अपनी ज़िन्दगी में कभी गहरी भावनाओं का पीछा नहीं किया था। रिश्ते और प्यार उसके लिए कभी सहज नहीं थे, लेकिन एक खालीपन था जो अक्सर उसे परेशान करता था।
इन दोनों की मुलाकात एक सामान्य कॉफी शॉप में हुई। इरा किसी किताब में खोई हुई थी और रोहन एक लैपटॉप पर काम कर रहा था। इरा का ध्यान तब गया जब रोहन ने उसे किताब की किसी पंक्ति पर एक विचार दिया, जो उसने कभी सोचा नहीं था। यह एक साधारण बातचीत से शुरू हुआ, लेकिन जल्दी ही दोनों को यह महसूस हुआ कि उनकी ज़िन्दगी में एक-दूसरे की उपस्थिति की कमी थी।
रोहन ने इरा से कहा, “तुम्हें कभी इस किताब के पन्नों के बीच, जिंदगी के असल सवालों को तलाशने की कोशिश करनी चाहिए।” इरा मुस्कराई, “अगर तुमसे बात न करती तो शायद यह सवाल कभी मेरे दिमाग में नहीं आते।”
यह मुलाकात कुछ खास थी। धीरे-धीरे, दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं। हालांकि, इरा ने हमेशा खुद को थोड़ा दूर रखा, अपने अनुभवों और डर के कारण। वह जानती थी कि एक बार दिल में किसी को जगह दे दी, तो फिर मुश्किल होता है वापस लौटना।
रोहन को भी इरा की दुविधा समझ में आई। उसने कभी किसी से ज्यादा जुड़ने की कोशिश नहीं की थी, लेकिन इरा के साथ उसकी बातचीत ने उसे एक नई दुनिया दिखायी। वह समझता था कि इरा के लिए प्यार शायद एक बंधन जैसा है, जो उसे अपने स्वतंत्र जीवन से बांध सकता है। लेकिन वह यह भी जानता था कि अगर वह सच्चे दिल से उसे समझे, तो शायद वह उसे भी एक नए तरीके से देखेगी।
कुछ महीने बाद, एक रात, दोनों एक बगीचे में बैठे थे। आसमान में हल्की चाँदनी थी और हवा में ठंडक महसूस हो रही थी। रोहन ने इरा से पूछा, “तुमने कभी सोचा है कि अगर हम दोनों अपने डर को छोड़ दें, तो क्या होगा?”
इरा चुप रही, और फिर हल्की सी मुस्कान के साथ बोली, “डर हमेशा होता है, रोहन। शायद प्यार भी उस डर को देखकर धीरे-धीरे अपने पंख फैलाता है।”
“तो क्या तुम कभी मुझे अपने साथ चलने की मंजूरी दोगी?” रोहन ने पूछा, उसकी आँखों में गहरी उम्मीद थी।
इरा ने कुछ पल सोचा, और फिर धीरे से कहा, “क्या हम दोनों को अब भी एक-दूसरे को जानने का वक्त चाहिए?”
रोहन ने सिर हिलाया, “शायद। लेकिन मुझे यह भी लगता है कि कभी-कभी हमें अपने डर को अपने रास्ते का हिस्सा बना लेना चाहिए।”
वह रात, वह मुलाकात, उन दोनों के लिए एक नई शुरुआत थी। इरा ने रोहन को स्वीकार किया, उसके साथ अपने विचार और भावनाओं को साझा करने का फैसला किया। रोहन ने इरा को यह विश्वास दिलाया कि वह उसकी कमजोरियों और ताकतों को समझेगा, और कभी भी उसे अकेला महसूस नहीं होने देगा।
समय के साथ, दोनों ने एक दूसरे को पूरी तरह से समझा। उनका प्यार धीरे-धीरे पक्का हुआ, एक ऐसा प्यार जो केवल उत्साह या आकर्षण नहीं था, बल्कि यह समझ, भरोसा, और एक दूसरे की कमी पूरी करने का इरादा था।
इरा और रोहन की कहानी इस बात का उदाहरण बन गई कि प्यार उम्र के साथ नहीं बदलता, बल्कि वह उन दोनों की जिंदगियों में स्थिरता और गहराई लाता है, जो पहले कभी नहीं थी। यह एक प्यार था, जो समय के साथ परिपक्व हुआ, और दोनों ने अपनी सच्चाई और खुले दिल से एक-दूसरे को अपना लिया।
उन्होंने एक दूसरे को प्यार किया, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि उन्होंने एक दूसरे को पूरी तरह से स्वीकार किया।